कमलनाथ सरकार के निकम्मेपन, नाकारापन और वादाखिलाफी का जश्न है आईफा अवार्ड - श्री गोपाल भार्गव

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कमलनाथ सरकार के निकम्मेपन, नाकारापन और वादाखिलाफी का जश्न है आईफा अवार्ड - श्री गोपाल भार्गव




कमलनाथ सरकार के निकम्मेपन, नाकारापन और वादाखिलाफी का जश्न है आईफा अवार्ड - श्री गोपाल भार्गव

प्रदेश की जनता है हलाकान और नाचने गाने वाले बनेगे सरकारी मेहमान

भोपाल।

 नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर दलितों आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे है, किसान कर्जमाफी के इंतजार में आत्महत्या कर रहे है। बेरोजगार युवा हताशा और अवसाद का शिकार हो रहे हैं। कन्याएं अपनी गृहस्थी बसाने के लिए उपहार राशि का इंतजार कर रहीं है। संबल योजना के हितग्राही कफन सहायत , मृत्यु सहायता की आशा में रोज बैंको से खाली हाथ लौट रहे है। खाली खजाने का हवाला देकर कमलनाथ सरकार गरीबों की योजनाओं को बंद कर रही है। वहीं दूसरी ओर आईफा अवार्ड के नाम पर सरकार अपनी वाहवाही में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि यह आईफा अवार्ड प्रदेश की जनता के पैसो से कमलनाथ सरकार के नाकारापन, वादाखिलाफी और दलित और आदिवासियों पर बढते अत्याचारों का जश्न है।
उन्होंने कहा कि गरीबों की चिंता करने की बजाय कमलनाथ सरकार फिल्म स्टारों की आवभगत में लगेगी। प्रदेश की जनता हलाकान और नाचने गाने वाले सरकारी मेहमान बनेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को आईफा अवार्ड जैसे नाच गाने का शौक है, तो बड़े शहरों में जाकर अपने पैसों से अपने शौक पूरे करे। जनता की गाढ़ी कमाई ऐसे आयोजनों पर खर्च करना जनता का अपमान है। जिसे प्रदेश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

गैरजिम्मेदाराना और हास्यास्पद तर्क देना बंद करे सरकार__________


उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार खाली खजाने का रोना रो रही है। तत्कालीन भाजपा सरकार पर दोषारोपण कर रही है कि खजाना खाली छोड़ा है। लेकिन फिजूल खर्ची के लिए सरकार के पास पैसा कहां से आ रहा है। पता चला है कि सरकार आईफा अवार्ड पर करीब 58 करोड़ रूपए की राशि खर्च करने जा रही है। यह राशि और भी ज्यादा हो सकती है। इसकी तैयारियों के लिए सरकारी मशीनरी को लगाया गया है, लेकिन प्रदेश की कमल नाथ सरकार एक साल बीत जाने के बाद भी किसानों का कर्जमाफ नहीं कर सकी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वृद्धजनों के लिए जिलों की निराश्रित निधि के 750 करोड भी अन्यत्र खर्च कर दी। अतिथि शिक्षक पिछले 53 दिन से धरने पर बैठे है। उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है और दूसरी और सरकार का यह तर्क की आईफा से रोजगार बढेगा, यह हास्यास्पद है। 

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