खण्ड स्तरीय बाल संरक्षण अधिनियम पर प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न

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खण्ड स्तरीय बाल संरक्षण अधिनियम पर प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न





खण्ड स्तरीय बाल संरक्षण अधिनियम पर प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न

मानव श्रृंखला बनाकर कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक कुप्रथा को हटाने का संकल्प लिया गया 

मातृ,शिशु मृत्यु दर में सुधार लाने के लिए एवं पोषण आहार, गर्भावस्था एवं प्रसव पूर्व व वाद की भी जानकारी दी गई एवं महिला सशक्तिकरण की जानकारी दी गई ।

सीधी/ मझौली। मझौली जनपद क्षेत्र का    परियोजना स्तरीय "बाल संरक्षण अधिनियम" का प्रशिक्षण कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास परियोजना  आयोजकत्व में जनपद मझौली के प्रज्ञा भवन में संपन्न हुआ। जहां कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उपखंड अधिकारी द्वारा भारत मां के प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।
जहां बाल संरक्षण अधिनियम को  लेकर परियोजना अधिकारी  द्वारा विस्तार पूर्वक बताया गया जिसमें कहा गया कि समेकित बाल संरक्षण योजना अंतर्गत किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 एवं बालकों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण (पास्को)(pocos) अधिनियम 2012 के तहत उद्देश है कि बच्चों की सही देखरेख, संरक्षण और उपचार तथा उनकी विकास संबंधित जरूरतों को पूरा करना है।18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे किशोर कहलाते हैं। जिन बच्चों की देखरेख की जरूरत होती है उन बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है ,इस समिति में एक अध्यक्ष चार सदस्य जिसमें एक सदस्य महिला होना जरूरी रहता है, इस समिति में बच्चों को पुलिस प्रशासन, चाइल्ड लाइन, सोशल वर्कर के माध्यम से भेजा जाता है।बच्चों के संरक्षण हेतु बाल गृह, शिशु ग्रह, आश्रय गृह आदि होते हैं। जिनमें बच्चों के खानपान व अन्य सुविधाओं से संबंधित तथा बच्चों के विकास संबंधित जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है।
बाल अपराध के संदर्भ में कार्यवाही:--
 विधि विरुद्ध आए बालकों को किशोर न्याय बोर्ड (जेजे बी) के सामने 24 घंटे के भीतर पेश किया जाना चाहिए। बाल आरोपी के माता-पिता को तुरंत सूचना दी जाती है तथा बाल  आरोपी को किसी भी हालत में कारावास में नहीं रखा जा सकता है।बाल अपराधी को संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है।

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