स्कूल प्राचार्य का निलंबन कमलनाथ सरकार को पड़ सकता है भारी , पूरे मध्यप्रदेश में दिख सकता है असर
रतलाम/भोपाल।
एक छोटी सी गलती कमलनाथ सरकार को भारी पड़ सकती है, रतलाम में नोटबुक में सावरकर की लगी फ़ोटो को बॉटने पर सस्पेंड हुए प्राचार्य के मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी स्कूल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की तस्वीर वाली नोटबुक का वितरण करना कोई अपराध नहीं है। इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में सावरकर के फोटो वाली नोटबुक वितरित करने की तैयारी कर रही है।
मामला रतलाम जिले के एक शासकीय विद्यालय का है। विद्यालय के प्राचार्य आरएन केरावत को सस्पेंड कर दिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने विद्यालय में एक समाजसेवी संस्था को ऐसी नोटबुक वितरित करने की अनुमति दी जिस पर सावरकर की फोटो छपी हुई थी। भारतीय जनता पार्टी के नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय एवं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार की इस कार्रवाई को चुनौती दी थी एवं निलंबन वापस लेने की मांग की थी।
सावरकर फोटो विवाद हाई कोर्ट तक पहुंचा
नेताओं की अपील के बाद भी जब सरकार ने प्राचार्य आरएन केरावत का निलंबन वापस नहीं लिया तो उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में निलंबन को स्थगित करने के लिए याचिका दाखिल की। हाई कोर्ट सिंगल जज जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने निलंबन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। जस्टिस शर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार की पैरवी कर रहे वकील ने बताया कि प्रधानाचार्य के निलंबन का आदेश एक अपील योग्य आदेश है, लेकिन तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता को केवल इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि एक एनजीओ द्वारा स्कूल में स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरों वाली नोटबुक को वितरित किया गया था। प्रथम दृष्टया में यह आदेश कानूनन गलत जान पड़ता है। स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीर वाली नोटबुक वितरित की गई है तो यह निश्चित रूप से कोई गुनाह नहीं है।
कमलनाथ सरकार को क्या हो सकता है नुकसान
इस मामले को कमलनाथ सरकार ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया था। नेताओं की अपील के बाद भी प्राचार्य का निलंबन वापस नहीं लिया था। आरोप लगाया था कि प्राचार्य भारतीय जनता पार्टी का प्रचार करने में मदद कर रहे हैं। हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी अब पूरे प्रदेश के शासकीय स्कूलों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के फोटो वाली नोटबुक का वितरण करेगी और ऐसा करने पर उसे कोई रोक नहीं पायेगा। जो मामला 1 जिले में खत्म हो सकता था अब पूरे मध्यप्रदेश में फैल जाएगा।
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