डाँक्टर आवास में डेरा जमाए हैं संविदा कर्मी
बन रहे करोड़ों के डाँक्टर आवास निर्माण कार्य पर उठ रहे सवाल
मझौली:- एक तरफ जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौली में पदस्थ डॉक्टरों के लिए लगभग दर्जनभर "एफ टाइप " कमरे बने हुए हैं जहां विभाग सहित अन्य विभाग के संविदा कर्मी अपना डेरा जमाए हुए हैं वहीं दूसरी तरफ डॉक्टरों के आवास के लिए पुराने बस स्टैंड के पास करोड़ों की लागत से नया आवास बनाए जाने का कार्य जारी है जिस पर लोगों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं।
बताते चलें कि जब अस्पताल परिसर के पास ही ऐसे आबासीय कक्ष पूर्व से ही बने हुए हैं जो डॉक्टरों के लिए आरक्षित ही हैं बावजूद न तो विभाग और ना ही खंड प्रशासन द्वारा उन कमरों को खाली कराया जा रहा है और न तो विभाग के माध्यम से सूचित किया गया कि डॉक्टरों के लिए पर्याप्त आवास बने हुए हैं जिससे नए भवन की आवश्यकता नहीं है। ऐसा न करके संविदा कर्मियों के दबाव में या कि निजी स्वार्थ के चलते वास्तविकता को छुपाते हुए शायद प्रस्तावित किया होगा गया होगा कि डॉक्टरों के आवास के लिए आवासों की जरूरत है जो बनाया जाना चाहिए। उसी के आधार पर नया भवन का निर्माण कार्य जारी है जबकि पुराने भवन आज भी चुस्त-दुरुस्त और उपयोगी है ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है ।
जानकारों की माने तो एफ टाइप के बने आवास डॉक्टरों के लिए ही आरक्षित हैं विषम परिस्थिति में निर्धारित प्रावधान का पालन करते हुए गैर कर्मचारियों को ऐसे आवास की स्वीकृति दी जाती है लेकिन उसका भी पालन न करते हुए मनमानी तौर पर संविदा कर्मी रह रहे हैं।इतना ही नहीं उन आवासों का किराया भी अदा नहीं किया जा रहा है जो विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही मानी जा सकती है। वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी की माने तो डॉक्टरों के आवास जिन्हें वे खुद जर्जर व अनुपयोगी बता रहे हैं फिर उन भवनों में रह रहे लोगों के साथ होने वाली किसी भी तरह की अप्रिय वारदात का जिम्मेदार कौन होगा।
इनका कहना है👇
शासन की मंशा अनुसार नए भवन बनवाए जा रहे हैं रही बात डॉक्टर आवासों में संविदाकर्मचारियों व अन्य के डेरा जमाए होने के मामले में तो वे जर्जर एवं अनुपयोगी हैं।
डॉ आर एल वर्मा मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला सीधी
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