सही पोषण बनाएगा , आपकी लाडली को तंदुरुस्त

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सही पोषण बनाएगा , आपकी लाडली को तंदुरुस्त





सही पोषण बनाएगा , आपकी लाडली को तंदुरुस्त

सीधी।

               किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक व हार्मोनल विकास बहुत तेजी से होता है । इस अवस्था में किशोर अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं। यह एक ऐसी अवस्था है जब किशोरों का व्यवहार एक महत्वपूर्ण आकार लेता है, जिसका प्रभाव भविष्य में उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।  किशोरियों में 11 से 18 वर्ष की उम्र में शरीर में तेजी से परिवर्तन होते हैं और शरीर का विकास होता है। माहवारी की शुरुआत, हार्मोनल परिवर्तन इत्यादि की वजह से पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता भी इसी उम्र में अधिक होती है। खून की कमी, कम आयु में विवाह व बार-बार गर्भधारण करने से युवा महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जब खून की कमी से ग्रस्त महिला एक बच्चे को जन्म देती है तो ऐसे बच्चे का कुपोषित होना निश्चित है।
              इसके लिए आवश्यक है कि किशोरावस्था में ही खून की कमी को दूर किया जाये ताकि भविष्य में वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके। किशोरियों में मासिक स्त्राव में रक्त हानि हो जाती है, जिसके कारण उनमे खून की कमी होने लगती है। इसलिए किशोरावस्था के दौरान एनीमिया (खून की कमी) एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें आयरन फोलिक, कैल्शियम और पोष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसमे दालें, हरी सब्जिया, गाजर, गोभी, दूध, दही, तथा मौसमी फल आदि शामिल है। इन्ही उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने महिला बाल विकास अंतर्गत आने वाले सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर माह के पोषाहार वितरण के चतुर्थ दिवस मंगलवार को लालिमा दिवस के रूप में आयोजित किये जाने के निर्देश दिए हैं। 
            इस दिन आई०सी०डी०एस० (समेकित बाल विकास सेवाएं) के अंतर्गत प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जन सहयोग से मनाया जाता है, जहाँ 11 से 18 वर्ष की आयु की किशोरी बालिकाओं को माह में एक बार आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बुलाकर स्वास्थ्य सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकरियाँ दी जाती है। जिनमें शारीरिक प्रजनन और स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी, पोषण सम्बन्धी जानकारी, व्यक्तिगत स्वच्छता, आयरन की गोली का महत्व और कुपोषण सम्बन्धी जानकारी प्रमुख हैं। कार्यक्रमों के सतत् संचालन से किशोरियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता आयी है। पोषण माह में चलाये गये अभियान के कारण पोषक तत्वों की पूर्ति स्थानीय खाद्य सामग्रियों से की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका व्यापक असर हुआ है।
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