मैं उनकी सादगी की क्या मिसाल दूँ,वो सारे जहाँ में खुद बेमिशाल थे।" - शालिक द्विवेदी की कलम से

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मैं उनकी सादगी की क्या मिसाल दूँ,वो सारे जहाँ में खुद बेमिशाल थे।" - शालिक द्विवेदी की कलम से






"मैं उनकी सादगी की क्या मिसाल दूँ,
वो सारे जहाँ में खुद बेमिशाल थे।" - शालिक द्विवेदी

*☀♦सरलता की प्रतिमूर्ति, सादगी की परिभाषा, सहजता का परिचय, सहिष्णुता के प्रतीक,  कर्म योग के शिखर पुरुष थे स्व.श्री इंद्रजीत कुमार...*


(स्व.श्री इन्द्रजीत कुमार की प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष,20 नवंबर..)

*♦👉🏽सरलता की प्रतिमूर्ति, सादगी की परिभाषा, सहजता का परिचय, सहिष्णुता के प्रतीक,साहस के पुतले, सन्यासी सम वैरागी,सत्य के प्रहरी, सदाचरण के कीर्तिमान मर्यादित एवं आस्थावान कुशल  राजनीतिक कर्तव्य परायण शोषित दलितों के शुभचिंतक इतिहास गुणों से अलंकृत व सुसज्जित महामानव थे श्री इंदजीत कुमार। आज पूर्व मंत्री रहे श्री इंद्रजीत कुमार की प्रथम पुण्यतिथि है।*

*मंत्री जी का आकर्षक व्यक्तित्व आंखों पर चश्मा ढीला कुर्ता-धोती बटन बंद जैकेट, चेहरे पर सदैव के लिए अधिकार कर चुकी मृदुल मुस्कान ही मंत्री जी की पहचान थी।इस भौतिक धरा पर किसी भी विषय पर धारा प्रवाह बोलना इनकी खास विशेषता थी जब जब भी वह वक्तव्य देने के लिए खड़े होते थे तो जनसमूह की करतल ध्वनि यह संकेत दे जाती थी कि अब मंत्री जी बोलने वाले हैं। उनकी भाषण की शैली, शब्दों का चित्रण, विषय परक ज्ञान का भंडार, उनके व्यक्तित्व को चार चांद लगा जाते थे। राजनीति में वह कांग्रेस पार्टी में रहकर भी लोहिया के समाजवाद को आत्मसात किए हुए थे। हर समय उनके चेहरे पर जो मुस्कान सहज ही उभर आती थी वह सभी को सहज ही आनंदित कर जाती थी।*

 *♦प्रायः यह देखा जाता है कि कुछ लोग आत्म प्रशंसा के अनुरागी होते हैं। वह कहते फिरते हैं कि हमारे पिता ने यह कार्य किया, हमारे दादा ने यह किया हमारे पूर्वजों ने वह किया। उन्होंने यह सब कार्य किए, हमारे पूर्वजों की ख्याति दूर-दूर तक थी,उन्होंने बड़े कारनामे किए, मगर वह सब तो उचित है उन्होंने किए होंगे यह उनका मान था, सम्मान था। लेकिन अपने जीवन में किसी व्यक्ति ने क्या किया? समाज उनको किन कार्यों से जान सकेगा ? शायद कुछ लोग नहीं सोच पाते, आत्म प्रशंसा में ही अपना जीवन गुजार देते हैं। लेकिन इसके उलट श्री इंद्रजीत कुमार का नाम स्वयं के कार्यों के लिए जाना जाता है, उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नही था।*

*♦स्वर्गीय श्री  इंद्रजीत कुमार एक राजनेता,जिम्मेवार नागरिक के रूप में जगह-जगह छोटे-बड़े कार्यक्रमों में उपस्थित होते थे,आमजनमानस इस तरह सामान्य आयोजनों में भी उनको अपने बीच पाकर ख़ुसी से झूम उठता था।उनका यही बड़प्पन और सादगी सर्वहारा वर्ग में गहरे रिस्ते का एक प्रमुख कारण था। वह गरीबों, वंचितों के हक़ के लिए संघर्ष करते थे। यही उनकी पहचान थी। वह जमीन से जुड़े नेता थे। आज के युवाओं को उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है। शुद्ध स्वदेशी,समाजवाद की छवि उन्हें और नेताओं से अलग करती थी।*

स्व.श्री इंद्रजीत कुमार का जन्म विन्ध्य की पावन धरा के जिला सीधी के छोटे से गांव सुपेला में   5 मार्च 1943 को हुआ। अपने राजनैतिक जीवन में उत्कृष्ट जनसेवा और नेतृत्व की विलक्षण प्रतिभा के बदौलत उन्हें तत्कालीन कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की सरकार में वर्ष 1994 से 1996 तक शिक्षा मंत्री के पद से नवाजा गया। इसके बाद से विन्ध्य ही नही अपितु पुरे प्रदेश मे उनके चाहने वालों की जुबां पर सादर उद्बोधन के रूप में उपनाम मरणोपरांत "मंत्री जी" ही रहा।

*♦आज सुपेला में प्रथम वर्षी पर मंत्री के चाहने वालों की होगी भीड़...*

*आज स्व. श्री इंदजीत कुमार की प्रथम वर्षी पर विन्ध्य ही नही अपितु प्रदेश भर से उनके चाहने वालों का सुपेला में समागम होगा। ऐसे समय पर मैं इतना कहना चाहूंगा कि आदरणीय स्व. श्री मंत्री जी वास्तव में एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व के व्यक्ति थे जो भी इनके संपर्क में आया था इहीं का होकर रह गया । यदि कम शब्दों में कहना हो तो हम कह सकते है कि सरलता,सहजता,और स्वीकारिता के प्रतिमूर्ति थे मंत्री जी। कार्य के प्रति समर्पण और संगठन के कार्यों में नित नूतन प्रयोग द्वारा समाज व जीवन मे नवीन परिवर्तन के लिए सदैव संकल्पित रहने वाले स्व श्री इंद्रजीत कुमार द्वारा मिला मार्गदर्शन निश्चित रूप से  हम सभी के लिए पाथेय का मार्ग बनेगा।*

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